'' गुजर जाए गे तेरे प्रेम मे किसी भी हद तक,बस तू मेरा हो जाए..तेरा-मेरा जीवन हो दौलत-ऐशो आराम
की छाया,मौसम प्रेम का ऐसा ही हो''....कितना कच्चा-फीका प्रेम का रिश्ता....सिर्फ पा लेना प्रेम कहां है..
जहां प्रेम मे प्रेम से पहला पैसा आया..जहां प्रेम मे कोई सौदा आया..जहां प्रेम मे सुंदर सूरत का ही पहला
ख्याल आया...वहां प्रेम कहां से आया...''तेरा-मेरा साथ है दौलत की दीवारों से ऊपर..तू रहे सलामत,इस
से जयदा और क्या मांगू...इस दुनियाँ से मुझ को क्या लेना-देना...तुझ से है मेरी यह दुनियाँ''...प्रेम की
पाठशाला का पहला-आखिरी मन्त्र यही है....