सिर्फ आँखों मे काजल की इक रेखा और होठों पे हल्की सी लालिमा लिए,तुम से मिले थे हम..इसी
सादगी पे फ़िदा हुए थे तुम..बस तभी से तेरी ज़िंदगी मे दाखिल हो गए हम...ना तुम से कुछ माँगा कभी,
ना शिकायतों का झोला तुम को दिया...अपने अस्तित्व तक को भुला दिया और तेरे हर कदम पे हम
साथ कदम रखते रहे..तुझे प्यार करने की हज़ारो वजह है मगर हम भी तो तेरी ही सादगी पे निहाल हो
गए...सजती है जब भी थाली इबादत की,आज भी तेरे ही नाम के हम कायल हो गए...