Friday 19 February 2021

 बालपन का वो दौर और घंटो खेलना और साथ-साथ महकना...कभी रूठ जाना तेरा और मेरा तुझे मना 


लेना..फिर कभी मेरा नाराज़ हो जाना और तुझे घंटो मुझे मनाने की प्यारी सी वो कोशिश करते रहना..


साँझ की दहलीज़ आते ही सारे गिले-शिकवे दूर हो जाना कि भूख से दोनों का बेहाल होना...काश..वो 


बालपन रुक जाता और झगड़ों का दौर भी साँझ तक ख़तम हो जाता...आज तुझे मनाने की कोशिश मे 


हार जाती हू मैं..खुद भी नाराज़ हू तुझ से,यह तक भूल जाती हू मैं..आ चल फिर से उसी बालपन मे लौट 


चले...जहा तर्क-वितर्क ना थे बस भूख से बेहाल होना ही,फिर साथ-साथ जोड़ देता था...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...