Thursday 18 February 2021

 देह थी चन्दन सी और मन सोने सा...दौलत पास थी इतनी और दुःखो का कोई मेला भी ना था...दिल 


भी मिले और प्रेम के धागे भी..फिर ऐसा क्या हुआ कि मिलन हो ना सका...रूहों के महीन धागे भी थे 


मजबूत इतने कि जहां भी कुछ कर ना सका...दुल्हन के लिबास मे वो मेरी होगी,यह सोच के वो सांतवे 


आसमां पे था..तक़दीर ने क्या फैसला दिया ऐसा...जीवन के तार टूट गए और दुल्हन के ख़्वाब सारे टूट 


गए...वो सांतवे आसमां से सीधा गिरा धरती पे और प्राण उस के अपनी दुल्हन के साथ निकल गए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...