Tuesday 2 February 2021

 सुबह के प्यारे आँचल से निकल के,यह शुभ दोपहरी आ गई...किस ने कहा कि ज़िंदगी बुझने के कगार 


पे आ गई...सुबह जब सुहावनी मिली तो दोपहर का तेज दिल को ख़ुशी के हिलोरों मे भिगो-भिगो गया...


शाम-संध्या तो यक़ीनन और भी खूबसूरत होगी..जब इबादत के दीए जले गे हर तरफ..चाहे वो मंदिर 


हो या मस्जिद या वाहेगुरु का धाम...दिल का सकून पाना है तो बार-बार दौलत ना गिन...गिनना है तो 


दीए इबादत के गिन..होगा जब दिल रौशन तो ख़ुशी खुद ही तेरा दर ढूंढ ले गी...यकीन बस उसी पे कर..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...