Monday 22 February 2021

 तूने ठीक से सुना नहीं शायद..हम ने कब से रोना-धोना छोड़ दिया...इन आँखों ने साथ दिया हमारा और 


इरादा हमारा सफल हुआ...वादा किया था तुझ से हम ने,रंग तेरे मे रंग जाए गे..पर तूने रंग मे वफ़ा ना 


घोली और हम बेवफ़ा हो ना सके...डगर एक थी,बंधन भी एक था..पर तू वादे से परे हटा...सहना इतना 


आसान ना था,आसमान भी फट सा गया...चाँद-सितारे भी रोए साथ हमारे..बादल भी गरज़ के काँप गया..


आवाज़ आई रूह से ऐसी कि आँखों का पानी ही सूख गया..चाँद-सितारे..बादल-बिजली पुराने साथी है 


मेरे...सदियों का साथ है इन का और मेरा..बदल जाना इन का काम नहीं..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...