Monday, 22 February 2021

 कौन है जो छुप-छुप के रात के गहरे पहर मे हम को,हमारे पन्नों को पढ़ता है...कौन है जो रात के अंतिम 


पहर,हमारे लफ्ज़ो को चुपके से चुरा लेता है...कौन है जो देर रात,जब हमारी आंख खुले..तो कलम-स्याही 


पास रख जाता है...कौन है जो कहता है,जनून को जनून बनाए रखना..कौन है जो बार-बार याद दिलाता 


है कि आंख मूंदने से पहले,नाम अपना इतिहास बना जाना...कौन है जो प्यार से सर पे हाथ रख के कहता 


है,साथ हू ना तेरे...जानते है हम यह कौन है..मेरे बाबा के सिवा कोई और हो नहीं सकता...जिस एहसास 


दुलार के बीज बोए आप ने,वो अधूरे कैसे छोड़े गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...