पर्वतों के उस पार तेरे देश मे,हम तो सिर्फ तेरे मेहमान ही रह गए..ना देखा तुझे,ना मिले तुझे और सितम
उस पे यह रहा कि तुझे छुए बिना ही तेरे अपने हो गए...उन वादियों मे तुम्हे कहां कैसे ढूंढे कि तुम तो
जैसे कही ग़ुम हो गए..अचानक नज़र पड़ी पीले रंग के ढेरों फूलों पे..तेरे पसंदीदा मनमोहक फूल देख
हम तो जैसे मचल-मचल गए...एक अहसास हुआ दिल को कि तू आस-पास ही है,यही-कही..कोई दिखा
दूर से आते हुए नज़रो को झुकाए..हम समझ गए,यह तो मेरे मन के मीत ही चले आए...