Sunday 14 February 2021

 बोलने की क्या जरुरत है..प्रेम सिर्फ ख़ामोशी की बात सुनता है..शब्दों के ज़ाल मे क्या उलझाए तुझे 


कि शब्दों की बात भी तुम कब सुनते हो...शब्द और ख़ामोशी दोनों है प्यार के मखमली डिब्बे मे और 


प्रेम राजसी रंग की सुराही मे  कैद है...जज्बातों की किताब दिल के पन्नों पे लिखते रहते है...स्याही कभी 


कम ना पड़ जाए इसलिए तेरी यादों को साथ-साथ रखते है...यह निगोड़ी पायल बहुत गुस्ताखियाँ करती 


है..यह भी तेरी तरह दीवानी पागल है..मेरी बात यह भी कहा सुनती है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...