चारों तरफ यह प्यार का मौसम और झूठे वादों का नया सा वही पुराना मौसम...वल्लाह,कैसी सी बात
है..फिर कोई सज़ा इस मौसम के लिए,इक नए शिकार की तलाश मे..मौसम यह गर चंद दिनों का है
तो शिकारी का जाल भी तो चंद महीनों का है..सज़े-संवरे,खुद की असलियत को छुपाए प्यार की दहलीज़
पे आए...ना प्यार दिलों मे है और ना रूह-ज़मीर की कहानी किसी के इर्द-गिर्द भी है..रूप भी नकली
प्यार भी नकली..तोहफों की बाढ़ मे कुछ दिनों के लिए दुनियां बदली...ना कोई यहाँ है किसी पे जान
लुटाने वाला और ना कोई किसी को प्यार का सही अर्थ बताने वाला...नकली सजावट के यह चेहरे...
प्यार के नाम को बदनाम करते कुछ शिकारी और दोहरे चेहरे .....