Tuesday 23 February 2021

 इंदरधनुष कितनी बार खिला और उतनी ही बार तेरा-मेरा प्यार खिला...कभी वो शाम बहुत खूबसूरत 


रही तो कभी वो शाम समर्पण की बेला मे ढली...मगर कोई शाम कभी ऐसी ना रही जो उलाहनों से 


भरी रही...चाँद-सितारे गवाह रहे इस शाम के और कभी हम ढले तेरे रंग मे तो कभी तुम ढले हमारे 


प्यार के  खूबसूरत मुकाम मे...मुकम्मल तुम भी हुए,मुकम्मल हम भी हुए..मगर जुदा होते वक़्त कभी 


तुम उदास हुए तो कभी हम आंसुओ से नम हुए...काश..इंदरधनुष हर पल बना रहे और तेरी-मेरी 


मुहब्बत का मिसाल बना रहे... 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...