गुलाब का मौसम है या प्रेम का..इन लाल गुलाबों को देख कुछ ख्याल आया..प्रेम...क्या इस का भी
मौसम होता है..इर्द-गिर्द देखा तो कुछ जोड़े आगोश मे लिपटे नज़र आए..जो पिछले मौसम किसी और
के साथ किसी और की आगोश मे थे...वादे जो उस से किए थे,आज इस के साथ है..प्रेम..बिकता भी है ?
यह देख हैरान हो गए..ज़िस्मों के सौदे हुए और फिर मौसम के साथ दोनों इक दूजे को भूल भी गए...वो
उस की जानू..बाबू थी और आज पुरानी जानू बाबू की जगह इक नई जानू बाबू है...वाह..क्या प्रेम है ....