Sunday 21 February 2021

 कभी जिया है इस ज़िंदगी को आप ने अपने लिए ...कभी जिया है इस ज़िंदगी को दूजों के लिए...वही 


रोज़-रोज़ का रोना,आज यह दुःख है तो कल कोई और रोना...खुद ही हारे है आप बार-बार पर इस 


ज़िंदगी ने अपना बिंदासपन नहीं छोड़ा...कभी इस ज़िंदगी को हमारी नज़र से तो देखिए जरा..दुखों के 


मेले मे भी,छोटी-छोटी खुशियाँ हम ढूंढ लेते है..और आप,सुखों की घड़ियो मे भी,मिले पुराने  दर्द को ही 


याद करते रहते है...जीने का सलीका जो आप सीख जाए गे,उसी दिन से खुद से ही मुहब्बत कर पाए गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...