अभी तो सिर्फ बादलों मे बिजली चमकी है और आप डर भी गए...अभी तो सिर्फ घनघोर हुआ है आसमां
और आप अभी से सहम गए...जानते है यह बिजली को अभी जोरों से दहाड़ देना बाकी है और आसमां
इस का जम के बरसना भी निश्चित है...बस,इसी तरह से यह ज़िंदगी भी तो है..जाना,सुन जरा..यह बेहद
तकलीफ़े देती है..कभी कभी तो रुख अपना अजीब मोड़ पे आ कर रोक देती है..अब बादल खुल के
बरसे या बिजली कड़क के गिर भी जाए..आंख का आंसू तेरा,कभी गिरने ना पाए..जब साथ है तेरे तो
गम कैसा...हज़ारो अँधिया भी आए तो अब डर कैसा....