Thursday 8 October 2020

 इक ठंडी हवा का झौंका आया और जलते दियों को हिला गया...मौसम हसीं हुआ और दिलों मे फूलों 


का खिलना शुरू हुआ...मुरझा गए वो फूल जो बहुत ही नाज़ुक थे...मगर खिले वो फूल जो ज़िंदगी से 


भरपूर थे...बेतरबी से बिखरे थे शाख-पत्ते..पेड़ों पे मौजूद थे सलीके से सज़े खूबसूरत पत्ते...मुसाफिर 


आते गए और पेड़ों की घनी छाँव मे रुकते-ठिठकते रहे...तब समझ आया इस बात का उस को..घनी 


छाँव और खिलते फूल-पत्ते मुसाफिरों का मन मोह लेते है..रोनी सूरत लिए मरे चेहरे किस को सकून 


देते है... 


दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...