इक ठंडी हवा का झौंका आया और जलते दियों को हिला गया...मौसम हसीं हुआ और दिलों मे फूलों
का खिलना शुरू हुआ...मुरझा गए वो फूल जो बहुत ही नाज़ुक थे...मगर खिले वो फूल जो ज़िंदगी से
भरपूर थे...बेतरबी से बिखरे थे शाख-पत्ते..पेड़ों पे मौजूद थे सलीके से सज़े खूबसूरत पत्ते...मुसाफिर
आते गए और पेड़ों की घनी छाँव मे रुकते-ठिठकते रहे...तब समझ आया इस बात का उस को..घनी
छाँव और खिलते फूल-पत्ते मुसाफिरों का मन मोह लेते है..रोनी सूरत लिए मरे चेहरे किस को सकून
देते है...