हल्का सा यह सर्द गुनगुना मौसम..वल्लाह,क्या बात है..कुछ भी कहा नहीं मैंने और तुझे क्यों सुन गया..
माशा अल्लाह,यह तो बहुत बड़ी बात है...हम तो समझे तू पागल भी है और हां,दीवाना भी..पर कुदरत
का कोई बेनाम अजूबा भी है..तौबा तौबा...तू तो दुनियाँ का आठवां नमूना भी है..मेरे कदमो से कदम
मिला कर चल,यह तेरे बस की बात कहाँ...बिंदास जिए हमारी तरह,यह तेरे नसीब मे भी कहाँ...हम तो
रोज़ गिनते है नियामते अपनी और तुम मिली हुई नियामतों पे भी शक करते हो...वाह अल्लाह मेरे,माटी
कौन सी थी ऐसी पास तेरे जो अजूबा ऐसा तूने बना दिया मालिक मेरे...