अरसे बाद मिली वो मुझ से...पहले की तरह आंख उस की फिर नम थी...आदतन हम ने कहा,''क्या रोना
अब भी है तुम्हारी ज़िंदगी..कभी तो मुस्कुराया करो..कभी तो खुद से प्यार किया करो''...बीच मे रोका
और टोका उस ने...''आज यह आंसू गम के नहीं,ख़ुशी की बेला के है..जिस को कभी खोया था वो है
आज पास मेरे है..फूल खिले है मेरे गुलशन मे..तू है जान मेरी,यह आंसू बरस गए ख़ुशी से मेरे कि तू
खास सहेली जो है मेरी''....अब एक आंसू हमारा भी निकला,जो हम दोनों की ख़ुशी का इक सच है...