Monday 5 October 2020

 अरसे बाद मिली वो मुझ से...पहले की तरह आंख उस की फिर नम थी...आदतन हम ने कहा,''क्या रोना 


अब भी है तुम्हारी ज़िंदगी..कभी तो मुस्कुराया करो..कभी तो खुद से प्यार किया करो''...बीच मे रोका 


और टोका उस ने...''आज यह आंसू गम के नहीं,ख़ुशी की बेला के है..जिस को कभी खोया था वो है  


आज पास मेरे है..फूल खिले है मेरे गुलशन मे..तू है जान मेरी,यह आंसू बरस गए ख़ुशी से मेरे कि तू 


खास सहेली जो है मेरी''....अब एक आंसू हमारा भी निकला,जो हम दोनों की ख़ुशी का इक सच है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...