बहारों की,खुशियों की उम्र बहुत लम्बी नहीं होती...बस यह मान कर हम ने, हर पल बहार का अपने
आंचल से बाँध लिया...अब यह ख़ुशी का बंधा आंचल साथ-साथ हमारे चलता है...नूर देख हमारे इस
चेहरे का ज़माना अक्सर पूछ लेता है,कौन सा खज़ाना पाया है आप की किस्मत ने जो नूर पे नूर आप
पे छाया है...सिर्फ हम ने इतना कहाँ...मालिक जिस हाल मे रखता है,हम उसी मे ख़ुशी ढूंढ लेते है...
कल शायद फिर यह ज़िंदगी रहे या ना ही रहे,इसलिए रोज़ आप से मिल लेते है....