वही आसमां..वही सूरज..वही सुबह की लाली...वही पक्षियों का चहकना..मोगरे के फूलों का वैसे ही
खिलना...पर क्यों लग रहा है,यह सब बहुत खूबसूरत है..शायद यह दिल खुश है बहुत आज,बेवजह ही...
तभी तो यह सुबह सब से अलग और सब से जुदा है...मालिक मेरे,तू जो भी दे...दिल की इस ख़ुशी और
सकून से जयदा और क्या होगा...फिर भी तुझे शुक्रिया ना कहे तो यह तो तेरा अपमान होगा...शुक्रिया..