साज़ भी है,आवाज़ भी है..महफ़िल मे आज भी किसी को तेरे आने की इंतज़ार भी है...जश्न की रात है..
हर कोई थिरकते क़दमों के साथ है..उम्मीदें सभी की रौशन है...ज़िंदगी को जीने के लिए,हर सांस
अपने किसी खवाब के साथ है...नाउम्मीदी का दामन आज किसी के आस-पास भी ना है..कभी कभी
सजती है ऐसी महफिलें,जहाँ जिंदादिलों की बारात होती है...हम ने इशारे से सभी को समझाया..''यह
ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है..मुर्दादिल भी कभी इस ज़िंदगी को जिया करते है''.....