Sunday 4 October 2020

 सुबह की यह लालिमा और यह नैना अब नई उम्मीद से भरे हुए...

सपनो को पूरा करने की ख्वाईश से गहरा संकल्प लिए हुए...

मेहनत को साथ लिए,खुद अपना रास्ता बनाते हुए...

बिना डर,बिना सहारे..अकेले अपनी डगर पे निकल पड़े..

कोई साथ है या नहीं,जाने बिना मंज़िल को पाने निकल पड़े...

हिम्मत को साथ लिया और ईश्वर का नाम संग जोड़ लिया...

मुश्किलें तब आसां होती है,जब हौंसले बुलंद होते है...

डर के जीना भी कोई जीना है..सर उठा के जी...

यही तो तेरे इम्तिहान का सब्र और परिणाम होना है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...