सुबह की यह लालिमा और यह नैना अब नई उम्मीद से भरे हुए...
सपनो को पूरा करने की ख्वाईश से गहरा संकल्प लिए हुए...
मेहनत को साथ लिए,खुद अपना रास्ता बनाते हुए...
बिना डर,बिना सहारे..अकेले अपनी डगर पे निकल पड़े..
कोई साथ है या नहीं,जाने बिना मंज़िल को पाने निकल पड़े...
हिम्मत को साथ लिया और ईश्वर का नाम संग जोड़ लिया...
मुश्किलें तब आसां होती है,जब हौंसले बुलंद होते है...
डर के जीना भी कोई जीना है..सर उठा के जी...
यही तो तेरे इम्तिहान का सब्र और परिणाम होना है....