सर उठा के जीना कि यह किस्मत बहुत इम्तिहान लेती है...मिला देती है कभी कभी,इतने खुदगर्ज़
इंसानो से और कसौटी हमारे ईमान की परखी जाती है...मुट्ठी की लक़ीरों की कदर करना..यही तो
है जो तुझे तुझ से परिचित करवाती है..बाकी तो यह दुनियां तमाशबीनों की जयदा है..तेरे दिल के घाव
जरा से भी दिख जाए,झट नमक उठा लाती है...ऊपर से प्यार जताती है पर अंदर से तुझे दुखी देख खूब
ज़शन अपने घर मनाती है..खुद पे रख के चल अपना ही विश्वास,किस्मत कब किस की बदल जाए..यह
तो किस्मत ही बताती रहती है...