Wednesday 7 October 2020

 सूरज का इक छोटा सा टुकड़ा,चल रहा है संग मेरे...आने वाली है ढेरों खुशियां,आंगन मे मेरे...पलकों 


के शामियाने खिल उठे...दिल मे गीत उम्मीदों के मुस्कुरा उठे...सर से पांव तक जैसे महक महक गए..


दस्तक दी है इस सूरज ने तो यक़ीनन कुछ तो खास होगा...नहीं तो यह आज ही क्यों साथ मेरे आता...


दिन की शुरुआत ऐसी है तो माशा अल्लाह,पूरा दिन आगे क्या होगा...संग मेरे तू भी मुस्कुरा कि यह 


उजाला सूरज का फिर कब कहां होगा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...