सूरज का इक छोटा सा टुकड़ा,चल रहा है संग मेरे...आने वाली है ढेरों खुशियां,आंगन मे मेरे...पलकों
के शामियाने खिल उठे...दिल मे गीत उम्मीदों के मुस्कुरा उठे...सर से पांव तक जैसे महक महक गए..
दस्तक दी है इस सूरज ने तो यक़ीनन कुछ तो खास होगा...नहीं तो यह आज ही क्यों साथ मेरे आता...
दिन की शुरुआत ऐसी है तो माशा अल्लाह,पूरा दिन आगे क्या होगा...संग मेरे तू भी मुस्कुरा कि यह
उजाला सूरज का फिर कब कहां होगा...