किसी ने कहा बुरा तुझ को और तू बिफ़र गया...अपना आपा खोया और उसी को उसी की भाषा मे
जवाब दिया...इंसाफ कभी इंसान नहीं किया करते...तेरे लिए जो भी होगा उस को कोई कब रोक पाए
गा...मशाल जब खुद के हाथ मे हो तो कौन तेरी रौशनी चुरा सकता है...दुनियाँ हर रोज़ हम को गिराने
की कोशिश मे लगी रहती है...तेरी तक़दीर तुझी से कौन छीन सकता है...वक़्त से पहले और इसी
तक़दीर से जयदा तुझे कभी ना मिल पाए गा..फिर चाहे वार पे वार भी कर ले,आपा भी खो ले...कुछ
भी ना हो पाए गा...