झूठ एक होता तो सह लेते..कुछ और जयदा होते तो भी सर आँखों पे ले लेते...पर तेरे झूठ पे फिर से
विश्वास करे..तौबा तौबा...हम तो सोचते रहे कि तुम सिर्फ दीवाने हो..हमारे ही नहीं कितनो के दीवाने
हो..किसी को मुहब्बत कह दिया तो किसी को प्यार का नगमा सुना दिया...और हम से मिले तो हमारे
ही होने का दावा कर दिया...ना तुझ को चलाया अपनी राहो पे,ना तुझ को चलाया बंदिशों के तले...सोचा
ईमान होगा तो खुद ही हमारी राहो पे लौट आओ गे..और वो दिन कभी तो आए गा,जब ज़मीर तेरा मेरी
राहो का मोहताज़ हो जाये गा ....