वो कहते है हम से.''.तुम ने हमारे दिल के हज़ारो टुकड़े कर दिए...कदर नहीं की हमारे प्यार की और
बेरुखी दिखा अपनी राह चल दिए''...दलील नहीं दे गे हम..सफाई भी भला क्यों दे गे हम..हम से मिलने
से बहुत पहले,आप के दिल के हज़ारो टुकड़े तो वैसे ही बिखरे थे..हम तो अपने प्यार के सच्चे रंग से,उस
दिल को जोड़ कर एकसार करने की पुरजोर कोशिश मे थे...पर आप तो दग़ाबाज़ी की कला मे इतने
माहिर रहे कि जिस दिल को हम एकसार कर रहे थे..आप उसी दिल से निकाल कर कुछ टुकड़े गैरों
मे बाँट रहे थे...बेवफा है आप पहले से,जानते थे हम...मगर जिस को आदत हो दिल को हर मोड़ पे
देने की,उस की इबादत भी कब तल्क़ करते रहते बार-बार हम...