Thursday 15 October 2020

 फिर से सज़े गी पायल..फिर बालों मे गज़रा महके गा..फिर से चंचल होंगे नैना,फिर तेरी शोख नज़र 


का पहरा हम पर होगा...मुलाकात की वो पहली बेला फिर से लौट के आए गी...साँसे बहुत है पास तेरे..


साँसे बहुत है पास मेरे...जीवन मधुर फिर से बन जाए गा..झरनों का पानी कब रुकता है.गर रुकता है 


तो फिर से चलता भी है...आशा का भरा-पूरा दीपक अंगना आज जलाया है..तेरी उम्मीद पे खरे उतरे..


यह वचन शिद्दत से आज निभाया है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...