इतने दर्द के पीछे,इस ज़िंदगी मे खूबसूरती है कितनी...समझ पाए गा..या अपने ही झमेलों मे मर-खप
जाये गा..चेहरा ही है रोनी सूरत तो कर भी क्या पाए गा..मालिक ने जितना भी दिया है उसी को प्रसाद
मान उस का,फिर देख क्या कमाल होता है...बरकत फैले गी चारो तरफ..ज़िंदगी तेरी फिर उसी की
इबादत मे गुजर जाए गी...देख के अपने से ऊपर को,जलन और दुःख से किसी दिन मर जाए गा...चार
लोग आए गे और तुझे शमशान तक छोड़ आए गे..उस वक़्त भी कोई तेरे लिए ना रोए गा..जब जीते जी
तू खुद ही रोया तोअब कौन तेरे लिए कौन वक़्त अपना बर्बाद करे गा..