हर तरफ है सुगंधित ख़ुश्बू..हर तरफ दिख रहे है खुशियों के मेले...तूने भी देखे या दुःखो के सागर मे गोते
अभी भी लगाए वैसे..पेट भर खाया,जी भर सोया...क्या इस के बाद, किसी गरीब का दिल तो तूने नहीं
दुखाया ना...मशक्कत कर ले कितनी भी,गर किसी बेकसूर का दिल रुला दिया तो सब पा कर भी,सब
कुछ गवा दिया...पानी है अपनी खुशियाँ तो किसी की राहों मे कांटा ना बन..अपने ही कांटे चुन ले,और
ख़ुशी-ख़ुशी इस जीवन को जी ले...