Tuesday 13 October 2020

 यह भी क्या बात है...ढूंढ़ने चले खुशियां जयदा पर चैन मन का गवा दिया..जो है आज अपना,उस को तक 


भुला दिया..ना ढूंढ ख़ुशी कल के लिए..जो मिला है उतने मे जी सब की ख़ुशी के लिए..मांगने से यह ख़ुशी 


कब  मिलती  है..जब वो चाहे तभी मिलती है..खुद को गिरा दिया तो क्या किया,सकूँ ही तो गवा दिया ..


उस की मरज़ी से एक पत्ता भी ना हिलता है और तूने दुनियां को अपनी ही मुट्ठी मे कैद करने का सपना 


खुद ही देख लिया..यह भी कोई बात है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...