Sunday 4 October 2020

 टूटे तार जब दिल के तो उस ने आशियाना ख़ामोशी का बना लिया...एक तरफ बैठा था बादशाह तो 


दूजी तरफ उस की रानी को बिठा दिया...ना तो वो बादशाह था असली, ना रानी का कोई वज़ूद था...


बस इक खवाब जो देखा था कभी उस ने,उस को यू ही अपने घर के आंगन मे सजा दिया...वो सोचती 


रही,वो अपने बादशाह की बेगम है और बादशाह उस को झूठी आशा देता रहा..करता रहा ना जाने 


कितने झूठे वादे उस से और उस का भोला सा मन उस को अपना खुदा मानता रहा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...