''यह जीवन-रेखा है बहुत छोटी..उम्र के ना जाने किस मोड़ पर यह छूट जाए गी''..तन्हा हो जाए गे आप
बिन हमारे कि हम लौट के कब आए गे....इस से पहले वो इस बात पे कुछ कह पाते..हम जीवन की इस
रेखा के लिए बेतहाशा हँसे..अब बारी थी उन के बयाने-उल्फत की...''आप की जीवन-रेखा आप के ही
जैसी है..बेखौफ मुहब्बत से भरी लम्बी चलने वाली है..जोड़ दीजिए इस रेखा को हमारी जीवन-रेखा से..
मिल के चलने का वादा जब साथ किया है तो जीवन- रेखा को भी साथ हमारा देना होगा ना''...आप के
इस मान से हम तो घायल हो गए..अब जीवन -रेखा को भूल जाइए,बस हमारा साथ निभाने चले आइए....