किसी वादे का मोहताज़ नहीं होता यह प्यार..किसी खास नज़र का तलबगार भी नहीं होता यह प्यार..
प्यार को सिर्फ जिस्म मे जिस ने भी ढाला,वहाँ कभी देर तक रुकता नहीं यह प्यार...झूठे वादे,झूठी सी
कसमे और झूठ के धरातल पे खड़ा प्यार,प्यार नहीं सिर्फ दाग़ होता है...रूह को छूने के लिए प्यार को
साँच की आंच मे तपना होता है...विरले है जो इस ताप मे तपना जानते है..वरना आज तू है तो कल कोई
और होगा..और गज़ब उस पे यह कहना कि वो प्यार ही होगा...