Sunday, 23 February 2020

प्रेम को हम ने बहाया नदिया की तरह..बिन जाने बिन सोचे,कि तेरी रूह के तले पहुंचे गा भी या नहीं..

समंदर से भी गहरा है प्रेम मेरा,यह तुम को बताया भी तो नहीं..बताते तो तब,जब  तुम को हासिल करना

होता..नदिया तो नदिया है,काम है सरलता से बहना..लोग कहते रहे बेशक हम को चाँद का टुकड़ा,हम

ने खुद को तेरे लिए ही समझा..अनंत-काल कितना होता है,यह तो मालूम नहीं..पर तुझे स्वीकार किया

अपना सब कुछ,इस से जयदा कुछ चाहा भी तो नहीं..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...