प्रेम को हम ने बहाया नदिया की तरह..बिन जाने बिन सोचे,कि तेरी रूह के तले पहुंचे गा भी या नहीं..
समंदर से भी गहरा है प्रेम मेरा,यह तुम को बताया भी तो नहीं..बताते तो तब,जब तुम को हासिल करना
होता..नदिया तो नदिया है,काम है सरलता से बहना..लोग कहते रहे बेशक हम को चाँद का टुकड़ा,हम
ने खुद को तेरे लिए ही समझा..अनंत-काल कितना होता है,यह तो मालूम नहीं..पर तुझे स्वीकार किया
अपना सब कुछ,इस से जयदा कुछ चाहा भी तो नहीं..
समंदर से भी गहरा है प्रेम मेरा,यह तुम को बताया भी तो नहीं..बताते तो तब,जब तुम को हासिल करना
होता..नदिया तो नदिया है,काम है सरलता से बहना..लोग कहते रहे बेशक हम को चाँद का टुकड़ा,हम
ने खुद को तेरे लिए ही समझा..अनंत-काल कितना होता है,यह तो मालूम नहीं..पर तुझे स्वीकार किया
अपना सब कुछ,इस से जयदा कुछ चाहा भी तो नहीं..