Sunday 16 February 2020

प्रेम की शुद्धता को परिभाषित करते जा रहे थे..प्रेम के मायने दुनियां को शिद्दत से समझा भी रहे थे..

शब्द लिखते जा रहे थे ऐसे-ऐसे कि पत्थर दिल भी प्रेम का अर्थ समझ जाए..कोई दिल ना रहे ऐसा जो

प्रेम को गलत साबित कर जाए..तभी हवा के इक झौंके ने झटका दिया ''अरे,प्रेम ही था जाने दीजिए ना''

हम सकते मे आ गए..सबक ऐसा दिया उस हवा के झोके को,आज प्रेम के गहरे सागर मे डूबा है वो 

और हम खुद की लिखी प्रेम-परिभाषा पे नाज़ करते है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...