Saturday 8 February 2020

काम बहुत जयदा है,पर वक़्त की मोहलत कहां अब जयदा है..इतने है काम अधूरे,जिस मे गुजारिश

एक नहीं बस फरमान है हज़ारो..किस को छोड़े,किस को सींचे..करीब है दिल के यह सारे मेहमान..

जो रहे बेजुबान,वो रहे सब से ख़ास..लुटाया दुलार-प्यार का खज़ाना बार-बार और बन गए सब के

हमराज़..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...