हवाओं मे रंग किस प्यार का है..यह रंग साफ़-पाक नहीं,यह तो देह से बंधा अपराध है..प्यार,जो ना
मोहताज़ है किसी खास तारीख का...प्यार,जो रूहों का संसार है..जो साथी की इक मुस्कान से खिल
जाए,जो उस की ख़ामोशी को समझ जाए..जो उस के लिए हज़ारो दर्द झेल जाए..ग़ुरबत मे भी प्यार को
निभा जाए..सूरत को तबज़्ज़ो कौन देता है, प्रेम शुद्ध है जहां वहां मिलना भी जरुरी कहां होता है.''.आज
तू है साथ तो कल कोई और होगी,उस के बाद कोई और होगा'' प्यार आज यहाँ खामोश है क्यों कि कल
उस को किसी और के साथ वहां जाना होगा..
मोहताज़ है किसी खास तारीख का...प्यार,जो रूहों का संसार है..जो साथी की इक मुस्कान से खिल
जाए,जो उस की ख़ामोशी को समझ जाए..जो उस के लिए हज़ारो दर्द झेल जाए..ग़ुरबत मे भी प्यार को
निभा जाए..सूरत को तबज़्ज़ो कौन देता है, प्रेम शुद्ध है जहां वहां मिलना भी जरुरी कहां होता है.''.आज
तू है साथ तो कल कोई और होगी,उस के बाद कोई और होगा'' प्यार आज यहाँ खामोश है क्यों कि कल
उस को किसी और के साथ वहां जाना होगा..