कभी बरसा दिए इतने फूल कि हम उन के तले दब गए..कभी जरुरत से जयदा कांटे चुभो दिए कि हम
दर्द से तड़प उठे..जीना-मरना सीखा है प्यार मे..पर बेइज़्ज़त हो कर जीना,यह असूल नहीं हमारे प्यार मे..
फूल ही फूल ही बिखेरे है कुदरत ने हमारी राहो मे,हम ने ही किसी को ना चुना..यह मर्ज़ी रही हमारी...
खुद्दारी होती है क्या,यह हम सब को सिखाते आए है..किसी के एहसान पे ना जिए है,ना जी पाए गे..खुद
के गुलाम है,खुद से ही प्यार हमेशा करते जाए गे..
दर्द से तड़प उठे..जीना-मरना सीखा है प्यार मे..पर बेइज़्ज़त हो कर जीना,यह असूल नहीं हमारे प्यार मे..
फूल ही फूल ही बिखेरे है कुदरत ने हमारी राहो मे,हम ने ही किसी को ना चुना..यह मर्ज़ी रही हमारी...
खुद्दारी होती है क्या,यह हम सब को सिखाते आए है..किसी के एहसान पे ना जिए है,ना जी पाए गे..खुद
के गुलाम है,खुद से ही प्यार हमेशा करते जाए गे..