पायल की झंकार से उठ मत जाना...चूड़ियों की खन खन से बेकाबू मत होना...इन सुर्ख आँखों को
नज़रअंदाज़ कर देना..लब मुस्कुरा कर जो कहे,मत सुनना..कोई हंस के बहकाए तो गुस्सा हो जाना..
फिर कोई मनाए तो हज़ार नखरे कर,ज़िंदगी को गले लगा लेना..कुछ गिला ना करना ना शिकवों मे
तक़दीर का फैसला लेना..अब और कुछ ना पूछ मुझ से,प्रेम को प्रेम की भाषा समझा देना..
नज़रअंदाज़ कर देना..लब मुस्कुरा कर जो कहे,मत सुनना..कोई हंस के बहकाए तो गुस्सा हो जाना..
फिर कोई मनाए तो हज़ार नखरे कर,ज़िंदगी को गले लगा लेना..कुछ गिला ना करना ना शिकवों मे
तक़दीर का फैसला लेना..अब और कुछ ना पूछ मुझ से,प्रेम को प्रेम की भाषा समझा देना..