Thursday 13 February 2020

पायल की झंकार से उठ मत जाना...चूड़ियों की खन खन से बेकाबू मत होना...इन सुर्ख आँखों को

नज़रअंदाज़ कर देना..लब मुस्कुरा कर जो कहे,मत सुनना..कोई हंस के बहकाए तो गुस्सा हो जाना..

फिर कोई मनाए तो हज़ार नखरे कर,ज़िंदगी को गले लगा लेना..कुछ गिला ना करना ना शिकवों मे

तक़दीर का फैसला लेना..अब और कुछ ना पूछ मुझ से,प्रेम को प्रेम की भाषा समझा देना..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...