दस्तक तेरे दरवाजे पे कभी नहीं दे गे..जो दरवाजा हमारा है ही नहीं,उस पे भला गौर क्यों करे गे...शाही
ख़ज़ाने सब को मिला नहीं करते,चंद सिक्के भी गुजारे के लिए काफी है..तेरी मुस्कराहट ही हम को
हम से मिला देती है..तेरे कदमों की चाप मुझे नींद से जगा देती है..तेरे गुस्से ने मुझे कुछ सबक सिखाए
है..तेरी गहरी चुप्पी से हम अक्सर घबराए है..यह सांस कभी अचानक टूट ना जाए,इस डर से खुद को
तेरे और करीब ले आते है..तू जो कहे रात है,हम मान जाते है..तू जो दिन को भी रात कहे तो भी हम
तेरी इसी बात का मान रख लेते है...
ख़ज़ाने सब को मिला नहीं करते,चंद सिक्के भी गुजारे के लिए काफी है..तेरी मुस्कराहट ही हम को
हम से मिला देती है..तेरे कदमों की चाप मुझे नींद से जगा देती है..तेरे गुस्से ने मुझे कुछ सबक सिखाए
है..तेरी गहरी चुप्पी से हम अक्सर घबराए है..यह सांस कभी अचानक टूट ना जाए,इस डर से खुद को
तेरे और करीब ले आते है..तू जो कहे रात है,हम मान जाते है..तू जो दिन को भी रात कहे तो भी हम
तेरी इसी बात का मान रख लेते है...