Sunday 23 February 2020

दस्तक तेरे दरवाजे पे कभी नहीं दे गे..जो दरवाजा हमारा है ही नहीं,उस पे भला गौर क्यों करे गे...शाही

ख़ज़ाने सब को मिला नहीं करते,चंद सिक्के भी गुजारे के लिए काफी है..तेरी मुस्कराहट ही हम को

हम से मिला देती है..तेरे कदमों की चाप मुझे नींद से जगा देती है..तेरे गुस्से ने मुझे कुछ सबक सिखाए

है..तेरी गहरी चुप्पी से हम अक्सर घबराए है..यह सांस कभी अचानक टूट ना जाए,इस डर से खुद को

तेरे और करीब ले आते है..तू जो कहे रात है,हम मान जाते है..तू जो दिन को भी रात कहे तो भी हम 

 तेरी इसी बात का मान रख लेते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...