इक सांस आती है इक सांस जाती है..हर सांस के साथ हर बार तेरी याद क्यों आती है..तेरी यादों को
रोकने के लिए,जो सांस रोके भी तो यह सवाल उठाती है...जिस मकसद के लिए तुम ज़िंदा हो,पूरा
कैसे कर पाओ गे...जन्म लो गे जल्दी तो फिर, अपने कृष्णा को फिर कैसे संग बांध पाओ गे..साथ तो
निभाना है उस डोर तक,जहां संग-संग रुखसत भी इस दुनियां से हो जाना है..अनंत-काल का बंधन
क्या फिर से नहीं निभाना है...................
रोकने के लिए,जो सांस रोके भी तो यह सवाल उठाती है...जिस मकसद के लिए तुम ज़िंदा हो,पूरा
कैसे कर पाओ गे...जन्म लो गे जल्दी तो फिर, अपने कृष्णा को फिर कैसे संग बांध पाओ गे..साथ तो
निभाना है उस डोर तक,जहां संग-संग रुखसत भी इस दुनियां से हो जाना है..अनंत-काल का बंधन
क्या फिर से नहीं निभाना है...................