Thursday 27 February 2020

कितना कितना याद करे...कुछ पल या कुछ दिन..सवाल तो यादो का है,जो जीने नहीं देती..यह नैना

बेशक कजरारे सही,यह पलकें घनेरी सही..तुझे देखे बिना इन की कीमत कुछ भी तो नहीं..लफ्ज़ कितने

बोले मगर जब तल्क़ तुझ से ना कुछ बोले,लफ्ज़ सभी अधूरे है मेरे..संवरने का मौसम कब होता है,तू

साथ हो तभी होता है..वरना सादगी मे भी ज़माना हम को चाँद का टुकड़ा ही कहता है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...