Thursday, 13 February 2020

वो कहते है कि हम सदियों पुराने है..फिर कहते है हम सब से अनोखे है..फिर कहते है हम को कुछ

कहना नहीं आता..कभी कहते है फूल हो ऐसा जो बार-बार नहीं खिलता..''हम मुनासिब है या तेरी कोई

पुरानी कहानी..तेरे ही सीने से लिपटी कोई बेल है पुरानी..जो हर जन्म मिले तुझे तेरी ही दास्तां बन के..

जो तेरे साथ ना रहे मगर साथ चलती जाए..पुकारे जो दर्द मे अपने तो खिंच के चली आए..अब खुद ही

इस बात को तय कर ले कि हम तेरे अपने है या कोई पराए'' ....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...