Saturday, 15 February 2020

पता नहीं आज बादल घनेरे है या आसमां साफ़ है..जो बिजली कड़की थी आज शाम,उस की दहक

कम है या वैसी ही है..डर डर के जागे गे या सो भी पाए गे..बिजली की गूंज अभी भी कानों को सुन

रही है जैसे...काश...चाँद ही बता पाता कि आसमां कितना साफ़ है अभी या बादल फिर से बरसने

वाले है..उम्मीद करे या नींद को अलविदा कर दे..रात को अब क्या जवाब दे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...