Tuesday, 11 February 2020

बहुत बहुत सोच कर उस बात को दर-किनारे कर दिया..जो खफ़ा होने की वजह बने..ना हसरतों को

उजागर किया ना दर्द तेरी राह तक पहुंचाया..किसी बात का अब रोना कैसा,जब रूहों ने इक-दूजे को

जान लिया..साथ जब अनंत-काल का रहना है..सदियों इक-दूजे के बनना है तो लड़ कर अब क्यों रोना

है..प्रेम की परिभाषा बहुत गहरी है,तुम अभी ना समझ पाओ गे..हम सदियों के बंधन समझ गए,तुम

 इस जन्म के कान्हा तक ना बन सके..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...