Monday 3 February 2020

बिखर चुके है तेरी ज़िंदगी मे,गुलाब की अनगिनित पखुड़ियो की तरह..तू समेट ले इन को अपने हर

दर्द मे इक खुश्बू की तरह..जब तल्क़ तू समेटे गा इन्हे,यह और बिख़र जाए गी तेरी राहो मे तेरी ही

ज़िंदगी बन कर..हमारा काम तो बिखरना है खुशबू की तरह..तुझ से कुछ ना मांगे गे कि खुद ही इक

गुलिस्तां के मालिक है हम..एक ऐसा गुलिस्तां जो बिखेरता है सिर्फ खुशबू मगर,खुद को रखता है

जुदा किसी एहसास से परे...चल छोड़ ना,समेट इन पखुड़ियो को अपनी ख़ुशी के लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...