क्यों चुभा दिल मे नश्तर बिन बात के..क्यों लगा हम ने बिसरा दिया तुम्हे बिन बात के..क्यों किस बात
पे यह एहसास हुआ कि हमारा प्यार बट गया..क्यों नाराज़गी हद से पार हो गई..रास्ता वही,मंज़िल
वही..कही कुछ कमी हुई ही नहीं..दर्द देख के तेरा हम टूटने लगते है..बह जाते है आंसू और तुझे
बता भी नहीं पाते है...ग़लतफ़हमी की दीवारें हटा दे सारी,छोटी-छोटी खुशियों मे जी ले बारी-बारी..
खता नहीं कोई फिर भी माफीनामा हमारा क़बूल कर..तेरे बिना जिए गे कैसे,नाराज़ ना हो बिन बात के..
पे यह एहसास हुआ कि हमारा प्यार बट गया..क्यों नाराज़गी हद से पार हो गई..रास्ता वही,मंज़िल
वही..कही कुछ कमी हुई ही नहीं..दर्द देख के तेरा हम टूटने लगते है..बह जाते है आंसू और तुझे
बता भी नहीं पाते है...ग़लतफ़हमी की दीवारें हटा दे सारी,छोटी-छोटी खुशियों मे जी ले बारी-बारी..
खता नहीं कोई फिर भी माफीनामा हमारा क़बूल कर..तेरे बिना जिए गे कैसे,नाराज़ ना हो बिन बात के..