बस क्या कहे,आज खुद ही खुद मे महक रहे है..बस प्यार हो गया है अपने आप से..इसलिए तो चहक
रहे है..पांव रखते है धरा पे तो उड़ने का एहसास होता है..खुद को देखते है आईने मे तो सब से जयदा
खुद के खूबसूरत होने का गुमान होता है..यह आंखे अपनी,आज क्यों इतनी कजरारी लग रही है..नमी
नहीं इन मे आंसू की,यह तो खुद के प्यार मे भीगी-भीगी लग रही है..लब जो आज बेवजह,मुस्कुराने पे
आमादा है..क्या कहे और,कि बस खुद के प्यार मे ही महक रहे है..
रहे है..पांव रखते है धरा पे तो उड़ने का एहसास होता है..खुद को देखते है आईने मे तो सब से जयदा
खुद के खूबसूरत होने का गुमान होता है..यह आंखे अपनी,आज क्यों इतनी कजरारी लग रही है..नमी
नहीं इन मे आंसू की,यह तो खुद के प्यार मे भीगी-भीगी लग रही है..लब जो आज बेवजह,मुस्कुराने पे
आमादा है..क्या कहे और,कि बस खुद के प्यार मे ही महक रहे है..