आंख से दो बूंद अश्क गिरे और फूल मे ग़ुम हो गए..किस को खबर कहाँ इक दूजे मे ग़ुम हो गए..
फूल जो सुना रहा था अपने दिल की दास्तां और एक परी जो हर लफ्ज़ को,समेट रही थी अपने दिल
की धड़कन मे..हर लफ्ज़ जैसे रुला रहा था ख़ुशी के आंसू..किस्मत को सराहे या परवरदिगार कितना
शुक्रिया अदा करे....कुदरत अपने फैसले कभी-कभी इस तरह से ज़ाहिर किया करती है,साँसे कोई और
लेता है मगर उन को जिया कोई और करता है...
फूल जो सुना रहा था अपने दिल की दास्तां और एक परी जो हर लफ्ज़ को,समेट रही थी अपने दिल
की धड़कन मे..हर लफ्ज़ जैसे रुला रहा था ख़ुशी के आंसू..किस्मत को सराहे या परवरदिगार कितना
शुक्रिया अदा करे....कुदरत अपने फैसले कभी-कभी इस तरह से ज़ाहिर किया करती है,साँसे कोई और
लेता है मगर उन को जिया कोई और करता है...