Friday 21 February 2020

 आंख से दो बूंद अश्क गिरे और फूल मे ग़ुम हो गए..किस को खबर कहाँ इक दूजे मे ग़ुम हो गए..

फूल जो सुना रहा था अपने दिल की दास्तां और एक परी जो हर लफ्ज़ को,समेट रही थी अपने दिल

की धड़कन मे..हर लफ्ज़ जैसे रुला रहा था ख़ुशी के आंसू..किस्मत को सराहे या परवरदिगार कितना

शुक्रिया अदा करे....कुदरत अपने फैसले कभी-कभी इस तरह से ज़ाहिर किया करती है,साँसे कोई और

लेता है मगर उन को जिया कोई और करता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...