Wednesday 12 February 2020

दर्द के आंसू तेरी आँखों से झरे..हम ने मोती समझ अपने आंचल मे भर लिए..वो आँचल जो सिर्फ और

सिर्फ तेरा है,कहने को बेशक आज भी किसी जख्म से गीला है..जानते हो,उन जख्मों को कभी सूखने

नहीं देते..बंजर रास्तो पे चलने के लिए,यह गीले ज़ख्म आज भी साथ दिया करते है..आँखों से आंसू ना

बहा,तेरे साथ हर कदम पे अपना कदम साथ रखते है..कुर्बान है तेरे हर दर्द पे,कि हम तो आवाज़ की

बहती गंगा से तुझे पहचान लिया करते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...